Wednesday, April 11, 2012

तपना

बदरा बदरा करने वालों
ज़रा सोचो उस किसान की
जो कटाई करने वाला है|

इक बारिश, कुछ बूँदें
बेशक तुम्हारे दिल को ठंडक पहुंचाए
मगर उसके लिए एक खौफ का नज़ारा है|

हल जोता है, फल के सपने पिरोयें हैं
पानी ढो कर सींचा है
आज, उसी पानी से डर है!
फल, फसल, पेट, आज तीनों को खतरा है|

ओ बादल,
लौट जा, बिखर जा
आज मत बरस

गर्मी की इस तपती लू
उस किसान के तपने से बेहतर है|

Thursday, March 15, 2012

यह मुहब्बत सवालों की मोहताज नहीं

बहुत खामोश रहते हैं वो,
जवाब नहीं देना एक बात है
मगर सवाल को अनसुना कर देना
ख़ामोशी से बत्तर है|

वक़्त वक़्त की बात है
कभी उनके सवाल ख़तम नहीं होते थे
अब हर सवाल पे जैसे दम निकलता है|

चलो यह भी सह लेंगे
आखिर उसने कभी तो मुहब्बत का इज़हार किया था|