बदरा बदरा करने वालों
ज़रा सोचो उस किसान की
जो कटाई करने वाला है|
इक बारिश, कुछ बूँदें
बेशक तुम्हारे दिल को ठंडक पहुंचाए
मगर उसके लिए एक खौफ का नज़ारा है|
हल जोता है, फल के सपने पिरोयें हैं
पानी ढो कर सींचा है
आज, उसी पानी से डर है!
फल, फसल, पेट, आज तीनों को खतरा है|
ओ बादल,
लौट जा, बिखर जा
आज मत बरस
गर्मी की इस तपती लू
उस किसान के तपने से बेहतर है|
Wednesday, April 11, 2012
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